शतरंज | Chess in hindi

परिचय :


एक ऐसा खेल जिसे आज पूरी दुनिया के लोग बड़े मजे से खेलते हैं। यह खेल है शह और मात का, जिसे पूरी दुनिया शतरंज या chess के नाम से जानती है। विश्व में कई लोग इसे मनोरंजन और अपना दिमाग तेज करने के लिए काफी ज्यादा खेलते हैं। भारत में शतरंज नाम से प्रसिद्ध इस खेल का आविष्कार भारत में ही हुआ था।

Chess in hindi
शतरंज | Chess in hindi

दोस्तों ज्यादातर खेलों में शारीरिक बल लगाने की जरूरत पड़ती है। लेकिन शतरंज एक ऐसा खेल है, जो शारीरिक बल से नहीं बल्कि दिमाग से खेला जाता है। इसे खेलते समय अपने दिमाग को शांत रखना बेहद ही जरूरी है। क्योंकि इसे हड़बड़ी में खेलने वाले इस खेल को कभी जीत नहीं सकते हैं। इस गेम chess को खेलने से व्यक्ति के दिमाग की सोचने और समझने की क्षमता बढ़ती है। आज पूरी दुनिया में पसंद किया जाने वाले इस खेल का इतिहास पूरी तरह से भारत से जुड़ा हुआ है।

नियम :


शतरंज जिसे चेस भी कहते है, एक बहुत पुराना खेल है। चेसबोर्ड में 2 लोगों के द्वारा इस खेल को खेला जाता है, जिसे समझने के लिए अभ्यास की जरूरत होती है। चेस एक दिमाग वाला खेल है, जिसके खेलने से मानसिक व्यायाम होता है। चेस एक "इंडोर गेम" है, जिसकी कोई उम्र सीमा नहीं होती है। लेकिन इसे एक समझदार व्यक्ति ही खेल सकता है।

हर खेल को खेलने के कुछ नियम व तरीके होते हैं, जिसके आधार पर हम उसे खेलते हैं। शतरंज एक चौकोर तख्त पर खेला जाता है। जिस पर काले और सफेद रंग के 64 खाने बने होते हैं। इसे एक बार में दो लोग खेल सकते हैं और इस खेल में ढेर सारे मोहरें होते हैं। जैसे कि, हाथी, घोड़े, राजा, ऊंट, आदि। इन सब की चालें भी पूर्व निर्धारित होती हैं।

A chess board with black pieces.
शतरंज | Chess in hindi

• राजा :

राजा इस खेल का बहुत ही अहम भाग होता है और यह किसी भी दिशा में केवल एक कदम चलता है।

• घोड़ा :

घोड़ा किसी भी दिशा में 2.1/2 (ढाई) कदम चलता है।

• ऊंट :

यह हमेशा तिरछा चलता है, चाहे कोई भी दिशा हो।

• सिपाही :

यह सदैव आगे कि ओर चलता है, कभी पीछे नहीं हटता। और सामान्यतः यह एक कदम सीधा चलता है। परंतु परिस्थिति के अनुसार इसकी चाल में परिवर्तन आ जाता है। जैसे कि किसी को काटना हो तो तिरछे भी चल सकता है।

• वजीर :

स्थान खाली होने पर यह किसी भी दिशा में चल सकता है।

• हाथी :

यह हमेशा सीधी दिशा में चलता है।

प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी बारी चलने का मौका बारी-बारी से दिया जाता है। इस खेल का मुख्य लक्ष्य शह और मात देना होता है।

शतरंज का इतिहास :


शतरंज का इतिहास बहुत ही मजेदार तथ्यों और कहानी से भरा हुआ है। माना जाता है कि 6वीं शताब्दी में भारत के गुप्त साम्राज्य में शतरंज का आविष्कार हुआ था। गुप्तकाल को भारत का स्वर्णयुग भी कहा जाता है। पहले के समय में शतरंज को अष्टपद नामक चौपटे (बोर्ड) पर खेला जाता था। और इस खेल का नाम था "चतुरंग"। जिसका अर्थ है चार भाग जो कि सेना के चार भागों को दर्शाता है। जो पैदल सेना, घुड़सवार सेना, हाथी सवार सेना और रथ वाली (मंत्री) सेना है। इन्हीं चार दलों से प्रेरणा लेकर शतरंज के चार भाग बनाए गए, जिनकी अलग- अलग विशेषताएं थीं। यह अलग- अलग दिशाओं में अलग- अलग तरीकों से खेले जाते थे।

A chess board with a chess piece and a horse.
शतरंज | Chess in hindi

6वीं शताब्दी खत्म होते- होते, चतुरंग को फारसी साम्राज्य (अभी के ईरान) में परिचित किया गया था। जहां चतुरंग का नाम बदलकर "चतरंग" रख दिया गया था। और जब फारसियों को अरबों ने जीत लिया तब चतरंग का नाम हो गया "शतरंज"। 9वीं शताब्दी के मध्य में शतरंज के नियमों की पहली किताब लिखी गई थी। जिसे एक अरबी खिलाड़ी "अल-अदली अल-रूमी" ने लिखा था। और इस किताब का नाम "किताब राख-शतरंज" था। जिसका मतलब है शतरंज की किताब।

शतरंज का प्रचार और प्रसार उस समय बहुत तेजी से हो रहा था। यह बहुत तेजी से सारी दुनिया में पहुंच रहा था। इसके साथ ही शतरंज के बहुत सारे प्रकार भी बन चुके थे। जैसे कि जियांगकी (xiangqi, china), शोगी (shogi, Japan) आदि। लेकिन आज के समय में हम जो शतरंज खेलते हैं। उसकी उत्पत्ति हुई थी यूरोप में। साल 1000 तक संपूर्ण यूरोप और दूसरे मुस्लिम साम्राज्यों में शतरंज पहुंच गया था। यूरोप में तो यह शिक्षा का एक भाग भी बन गया था। साल 1200 से शतरंज के नियमों में भी बदलाव आने लगे थे।

इन सभी के बाद जब शतरंज में वजीर को परिचित किया गया, तब खेल की रफ्तार पूरी तरह से बदल गई थी। साल 1500 तक वजीर शतरंज का सबसे ताकतवर भाग बन गया था। इसी दौरान शतरंज के भागों की बनावट में भी बहुत परिवर्तन आया था। 15वीं शताब्दी से शतरंज के सिध्दांत भी बनना शुरू हो गए थे। एक से बढ़कर एक पैंतरे शतरंज के खेल में आने लगे थे। और 19वीं शताब्दी में शतरंज के बहुत सारे क्लब खुल गए। शतरंज की बहुत सी किताबें बिकना शुरू हो गई थी।

सन् 1851 में पहली आधुनिक शतरंज प्रतियोगिता का आयोजन लंदन में हुआ था। इस प्रतियोगिता में 16 खिलाड़ी थे, और इस प्रतियोगिता के विजेता "एडॉल्फ एंडरसन"  (Adolf Anderssen) थे। सन् 1886 में पहली विश्व शतरंज चैम्पियनशिप का आयोजन हुआ। जिसके विजेता "विल्हेम स्टीनिट्ज़" (Wilhelm Steinitz) थे। सन् 1924 में पहले विश्व शतरंज ओलिंपियाड (world chess olympiad) का आयोजन पेरिस में हुआ था। यही पर F.I.D.E. अंतरराष्ट्रीय शतरंज संघ (International Chess federation) की स्थापना हुई थी।

21वीं शताब्दी में चेस इंजन और चेस वेबसाइट के आ जाने पर ऑनलाइन चेस बहुत ही लोकप्रिय हो गया है। सन् 2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 605 million लोग रोज शतरंज खेलते हैं। और साल में कम से कम एक बार शतरंज खेलने वाले 12% ब्रिटिश, 15% अमरीकी, 23% जर्मन, 43% रसियन, 70% भारतीय है।

शतरंज के कुछ तथ्य :


A chess board with white pieces.
शतरंज | Chess in hindi

(1) शतरंज के एक खेल में सबसे ज्यादा 5949 चालें हो सकती है।

(2) शतरंज में पहली चार चालों को 318979564000 तरीकों से चला जा सकता है।

(3) सन् 1988 में "विश्वनाथन आनंद" भारत के पहले ग्रैंड मास्टर बने। आनंद सन् 2000, 2007, 2008, 2010, 2012 में विश्व चैंपियन रहे हैं।

(4) शतरंज के बोर्ड (चौपटे) को बनाते समय इसमें गहरे और हल्के रंग के चौकोर खाने बनाए जाते हैं। सबसे पहला गहरे और हल्के रंग का चेस बोर्ड 1090ईं. में यूरोप में बनाया गया था।

(5) सन् 1951 में "एलन ट्यूरिंग" (Alan turing) ने पहला ऐसा कम्प्यूटर बनाया था। जिसमें शतरंज खेला जा सकता था।

(6) सन् 2011 तक विश्व में 600 million लोग शतरंज खेलना जानते थें।

(7) दुनिया की दूसरी अंग्रेजी की किताब चेस के बारे में ही लिखी गई थी।

निष्कर्ष :


मेरा प्रिय खेल शतरंज है। यह बहुत ही लोकप्रिय खेल है। शतरंज घर के अंदर खेला जाने वाला खेल है। यह एक चौकोर लकड़ी के तख्ते पर खेला जाने वाला खेल है। जिस पर काले और सफेद रंग के 64 खाने बने होते हैं। इसे एक बार में दो खिलाड़ी ही खेल सकते हैं। इस खेल में 16-16 काली व सफेद रंग की मोहरें होती हैं। दोनों खिलाड़ियों के पास समान संख्या में एक राजा, एक वजीर, दो ऊँट, दो घोड़े, दो हाथी और आठ सैनिक होते हैं। चौपाट के मध्य में राजा व वजीर रहते हैं, कोनों पर हाथी, घोड़े व ऊँट होते हैं। अगली लाइन में आठ सैनिक होते हैं। खेल की शुरुआत सफेद मोहर वाले खिलाड़ी के द्वारा की जाती है।

इस खेल का मुख्य लक्ष्य शह और मात देना होता है। शतरंज दिमाग से खेला जाने वाला खेल है। हार और जीत खेलने वाले व्यक्ति की बुद्धि पर निर्भर करती है। शतरंज का प्रारंभिक नाम चतुरंग था। आजकल विद्यालयों में शतरंज को स्पोर्ट्स के रूप में बड़े जोरों से बढ़ावा दिया जा रहा है, इसलिए बच्चों को भी यह खेल खेलना चाहिए। शतरंज के खेल की प्रतियोगिता अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होती है।


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