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परिचय :
हम लोगों ने बहुत सारी खेल प्रतियोगिताओं का नाम सुना है। जिसमें से एक है ओलंपिक प्रतियोगिता। यह दुनिया की सबसे पुरानी खेल प्रतियोगिता मानी जाती है। ओलंपिक खेल के अंतर्गत बहुत सारे अलग-अलग खेल खेले जाते हैं। इस में दुनिया भर के चुनें हुए खिलाड़ी भाग लेते हैं। यह खेल बहुत प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण है।
इस खेल में हिस्सा लेना और जीतना पूरी दुनियाभर में सम्मान और गौरव की बात है। यह खेल चार वर्ष के अंतराल में खेला जाता है। ओलंपिक खेलों के लिए चुना जाना खिलाड़ीयों के लिए गौरव की बात होती है। खिलाड़ी खेलों मे मेडल्स जीतकर देश का नाम रोशन करते हैं।
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ओलंपिक | Olympics in hindi |
भारत देश आज़ादी के पहले से ही ओलंपिक खेलों में भाग लेता आ रहा है। भारत के राष्ट्रिय खेल हॉकी ने ओलंपिक में स्वर्ण पदक दिलाए हैं। कुछ साल पहले हुईं भाला फेंक प्रतियोगिता में भारत देश के खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक हासिल किया है। ओलंपिक प्रतियोगिता की वजह से दुनियाभर में खेलों का महत्व बरकरार है। उभरते खिलाड़ीयों को इसकी वजह से प्रेरणा मिलती है। तथा बाकी लोग खेल का महत्व समझते हैं। ओलंपिक अंतरराष्ट्रीय मित्रता का प्रतिक है।
इतिहास :
विश्व में सर्वप्रथम ओलंपिक खेलों का विधिवत रूप से आयोजन 776 ई. पू. यूनान (ग्रीक) के ओलम्पिया नामक शहर में हुआ था। ओलम्पिया शहर के कारण ही इस खेल का नाम ओलंपिक पड़ा। वर्तमान में हो रहे ओलंपिक खेलों को शुरू करने का श्रेय फ्रांस के विद्वान एवं खेल प्रेमी "पियरे डि कुबर्तिन" (Pierre de Coubertin) को जाता है।
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ओलंपिक | Olympics in hindi |
इस क्षेत्र में उनके अथक प्रयासों के चलते सन् 1894 ई. में "अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति" का गठन किया गया, जिसमें पियरे डि कुबर्तिन को ही प्रथम अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया। 4 अप्रैल 1896 को एथेंस में वर्तमान ओलंपिक खेलों का प्रथम आयोजन शुरू हुआ और तभी से हर चार वर्षों के बाद विश्व के विभिन्न स्थानों पर इस खेल का आयोजन किया जाता है।
सन् 1914 में "पियरे डि कुबर्तिन" के सुझावों पर ओलंपिक ध्वज बनाया गया, जो सिल्क के सफेद कपड़े का बना होता है। आपस में जुड़े नीले, पीले, काले, हरे एवं लाल रंग के छल्लों में ओलम्पिक चिन्ह मुद्रित होता है। ये पाँच छल्ले क्रमशः पाँच प्रमुख महाद्वीपों- अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, ऑस्ट्रेलिया तथा यूरोप को दर्शाते हैं।
पुराने समय में हुए ओलंपिक खेलों में महिलाओं को भाग नहीं लेने दिया जाता था, परंतु सन् 1900 में आयोजित पेरिस ओलंपिक खेलों में पहली बार महिलाओं को भी इसमें शामिल करने का निर्णय लिया गया। "सिटियस, अल्टीयस, फोर्टियस" (Citius, Altius, Fortius) लैटिन भाषा में ओलंपिक खेल का उद्देश्य है, जिसका हिंदी में अर्थ है-"तेज, ऊँचा, बलवान "। इसको पहली बार सन् 1920 के एंटवर्प (बेल्जियम) ओलंपिक खेलों में प्रस्तुत किया गया।
ओलंपिक खेलों की किसी भी स्पर्धा में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों खिलाड़ियों को एक प्रमाण पत्र के साथ क्रमश: स्वर्ण, रजत एवं कांस्य पदक से सम्मानित किया जाता है। आधिकारिक रूप से सन् 1920 से भारत ने ओलंपिक खेलों में भाग लेना शुरू किया था।
1914 - 1918 में हुए प्रथम विश्व युद्ध एवं 1939 - 1945 में हुए द्वितीय विश्व युद्ध के कारण क्रमश: छठे, बारहवें एवं तेरहवें ओलंपिक खेलों का आयोजन नहीं किया जा सका। ओलंपिक खेलों को सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं के रूप में मान्यता प्राप्त है। कई खिलाड़ियों के लिए पुरुस्कार जीते बिना भी, इसमें भाग लेना गौरव की बात है।
ओलंपिक खेल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली बहु- खेल प्रतियोगिता है, जो देशों के बीच मित्रता, भाईचारे और अच्छे संबंधों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
ओलंपिक के तथ्य :
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ओलंपिक | Olympics in hindi |
1. ओलंपिक दुनिया की सबसे बड़ी खेल प्रतियोगिता हैं।
2. इसका आयोजन 'अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति' द्वारा किया जाता हैं।
3. प्रत्येक चार वर्षों में एक बार ओलंपिक का आयोजन होता हैं।
4. शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में 200 से अधिक देशों के प्रतिनिधि खिलाड़ी भाग लेते हैं ।
5. ओलंपिक में सैकड़ों तरह के एथलीट भाग लेते हैं ।
6. प्राचीन ओलम्पिक खेल का आयोजन यूनान (ग्रीक) के ओलम्पिया नामक नगर में हुआ था।
7. आधुनिक ओलंपिक खेलों के स्वरूप के जन्मदाता 'पियरे डि कुबर्तिन' को माना जाता हैं ।
8. ओलंपिक खेलों में शामिल होने को भी एक उपलब्धि से कम नहीं माना जाता है।
9. ओलंपिक गेम्स के माध्यम से खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा का परिचय देने का अवसर मिलता हैं ।
10. ओलंपिक खेल, देशों के समन्वय और एकता का प्रतीक है।
ओलंपिक में भारत :
ओलंपिक गेम में भारत ने सबसे पहले सन् 1900 में, एकमात्र खिलाड़ी 'नार्मन प्रिजार्ड' के साथ भाग लिया, जिसने एथलेटिक्स में दो रजत पदक जीते थें। सन् 1920 के ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक खेलों में भारत ने पहली बार एक टीम भेजी और इसके बाद से हर ग्रीष्मकालीन ओलंपिक प्रतियोगिता में भारत ने भाग लिया है।
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ओलंपिक | Olympics in hindi |
सन् 1964 से शीतकालीन ओलम्पिक खेलों में भी भारत ने कई बार भाग लिया है। 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक शुरू होने तक भारत ने कुल 26 पदक थे, जो कि सभी ग्रीष्मकालीन खेलों में जीते गए थे। शीतकालीन खेलों में पदक जीतने में भारत को अभी तक सफलता नहीं मिली है।
सन् 1920 से सन् 1980 तक एक लम्बे समय के दौरान ओलम्पिक में भारतीय राष्ट्रीय हॉकी टीम का दबदबा बना रहा। इस बीच हुए 12 खेलों में से भारत ने 11 पदक जीते जिनमें से 8 स्वर्ण पदक थे। सन् 1928 से 1956 तक भारत ने लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते थें। भारत 18 जुलाई 2021 तक ओलिम्पिक पदक तालिका में 54वें स्थान पर रहा है।
• ब्रिटिश शासन के दौरान :
सन् 1947 तक ब्रिटिश शासन के अधीन रहने के बावजूद, भारत ने ब्रिटिश ओलंपिक टीम से अलग रह कर, ओलंपिक खेलों में भाग लिया था। भारत ने सन् 1900 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में अपना पहला एथलीट भेजा, लेकिन एक भारतीय राष्ट्रीय टीम ने सन् 1920 तक ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भाग नहीं लिया था। सन् 1920 में पहली बार, "सर दोराबजी टाटा" और बॉम्बे के गवर्नर "जॉर्ज लॉयड" ने भारत को ओलंपिक खेलों में प्रतिनिधि बनाने में मदद की थी।
इसके बाद भारत ने सन् 1920 के ओलंपिक में एक टीम भेजी, जिसमें तीन एथलीट, दो पहलवान और प्रबंधक "सोहराब भूत" और "ए. एच. ए. फैजी" शामिल थे। सन् 1920 के दशक के दौरान "भारतीय ओलंपिक आंदोलन" की स्थापना हुई थी।
सन् 1923 में "अखिल भारतीय ओलंपिक समिति" का गठन किया गया था, और फरवरी 1924 में, 1924 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए एक टीम का चयन करने के लिए 'अखिल भारतीय ओलंपिक खेलों' का आयोजन किया गया था। पेरिस ओलंपिक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में सात एथलीट, सात टेनिस खिलाड़ी और टीम मैनेजर 'हैरी बक' शामिल थे।
सन् 1927 में भारतीय ओलंपिक समिति औपचारिक रूप से "भारतीय ओलंपिक संघ" (IOA) बन गई; इसका मुख्य कार्य भारत में खेलों के विकास को बढ़ावा देना, राष्ट्रीय खेलों के लिए मेजबान शहरों का चयन करना और राष्ट्रीय खेलों से चयनित टीमों को ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भेजना था। इस प्रकार, सन् 1928 के राष्ट्रीय खेलों में, अगले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए सात एथलीटों का चयन किया गया, जिसके प्रबंधक "गुरु दत्त सोंधी" (Guru Dutt Sondhi) थे।
इस समय तक, भारतीय हॉकी महासंघ (IHF) की भी स्थापना हो चुकी थी, और इसने ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए एक हॉकी टीम भेजी। राष्ट्रीय हॉकी टीम को इसी तरह सन् 1932 के ओलंपिक में चार एथलीटों और एक तैराक के साथ और सन् 1936 के ओलंपिक में चार एथलीटों, तीन पहलवानों, एक भारोत्तोलक, तीन अधिकारियों के साथ टीम मैनेजर सोंधी के नेतृत्व में भेजा गया था।
भारतीय फील्ड हॉकी टीम ने सन् 1928 से 1936 तक ओलंपिक में लगातार तीन खिताब जीतकर अपना दबदबा कायम रखा। सन् 1928 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक फाइनल में भारत ने नीदरलैंड को 3-0 से हराया। यह इस तथ्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी कि यह आधुनिक ओलंपिक खेलों में एशिया के किसी भी देश द्वारा जीता गया पहला स्वर्ण पदक था।
सन् 1932 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका को 24-1 से हराया, अंकों का यह अंतर ओलंपिक इतिहास में जीत का सबसे बड़ा अंतर है। सन् 1936 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक फाइनल में भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराया, जो ओलंपिक फाइनल में जीत का सबसे बड़ा अंकों का अंतर था।
• स्वतंत्र भारत में ओलंपिक :
सन् 1948 के बाद से, IOA की व्यापक पहुँच के कारण, भारत ने ओलंपिक में 50 से अधिक एथलीटों के प्रतिनिधिमंडल भेजने शुरू कर दिए, जिनमें से प्रत्येक को महासंघ द्वारा ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए चुना गया था। भारतीय फील्ड हॉकी टीम ने सन् 1948 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में फाइनल में ग्रेट ब्रिटेन को हराकर स्वर्ण पदक जीता था। यह एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक था।
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ओलंपिक | Olympics in hindi |
सन् 1952 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में पहलवान "के.डी. जाधव" ने स्वतंत्र भारत के लिए पहला व्यक्तिगत पदक जीता था। भारतीय फील्ड हॉकी टीम ने सन् 1956 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर लगातार छठा खिताब जीतकर अपना दबदबा बनाए रखा। भारतीय टीम द्वारा सीधे छः खिताब जीतना, उस समय टीम स्पर्धा में एक ओलंपिक रिकॉर्ड था। यह रिकॉर्ड केवल संयुक्त राज्य अमेरिका की पुरुषों और महिलाओं की बास्केटबॉल टीमों द्वारा ही पार किया गया है।
सन् 1960 के रोम ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम फाइनल हार गई और उसे रजत पदक से संतोष करना पड़ा। टीम ने सन् 1964 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर वापसी की। लेकिन अगले दो ओलंपिक में केवल कांस्य पदक जीते। सन् 1976 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारतीय टीम खाली हाथ घर आई, ऐसा सन् 1924 के बाद पहली बार हुआ था।
सन् 1980 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने अपना रिकॉर्ड 8वां ओलंपिक स्वर्ण पदक जीता। अगले तीन ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत को खाली हाथ लौटना पड़ा। अटलांटा में आयोजित सन् 1996 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में, टेनिस खिलाड़ी "लिएंडर पेस" ने पुरुषों की एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीता और वह सन् 1952 के बाद से पहले व्यक्तिगत पदक विजेता भी बने।
• बाकी इतिहास :
सन् 2000 के सिडनी ओलंपिक में, "कर्णम मल्लेश्वरी" (Karnam Malleswari) ने महिलाओं के 69 किलोग्राम भारोत्तोलन वर्ग में कांस्य पदक जीता। यह किसी भारतीय महिला द्वारा जीता गया पहला ओलंपिक पदक था ।सन् 2004 के एथेंस ओलंपिक में, स्टार निशानेबाज "राज्यवर्धन सिंह राठौड़" (Rajyavardhan Singh Rathore) ने पुरुषों की डबल ट्रैप शूटिंग में रजत पदक जीता।
सन् 2008 के बीजिंग ओलंपिक में, "अभिनव बिंद्रा" (Abhinav Bindra) ने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता और ओलंपिक खेलों में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय खिलाड़ी बने। "विजेंदर सिंह" (Vijender Singh) ने मिडिलवेट वर्ग में अपने कांस्य पदक के साथ मुक्केबाजी में देश का पहला पदक हासिल किया।
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ओलंपिक | Olympics in hindi |
सन् 2012 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में 83 सदस्यीय भारतीय दल ने खेलों में भाग लिया और कुल 6 पदकों के साथ देश के लिए एक नया सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड स्थापित किया। "साइना नेहवाल" ने महिला एकल में बैडमिंटन में कांस्य पदक जीतकर बैडमिंटन में देश का पहला ओलंपिक पदक जीता। पहलवान "सुशील कुमार" (Sushil Kumar) ने रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया।
मुक्केबाज "मैरी कॉम" (Mary Kom) महिला फ्लाईवेट वर्ग में अपने कांस्य पदक के साथ मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। स्टार निशानेबाज "गगन नारंग" (Gagan Narang) ने पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल निशानेबाजी में कांस्य पदक जीता। "विजय कुमार" (Vijay Kumar) ने पुरुषों की 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल प्रतियोगिता में रजत जीतकर एक और पदक जोड़ा। सन् 2020 में इससे आगे निकलने तक यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।
सन् 2016 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में, रिकॉर्ड संख्या में 118 एथलीटों ने भाग लिया। "साक्षी मलिक" (Sakshi Malik) महिला फ्रीस्टाइल 58 किलोग्राम वर्ग में अपने कांस्य पदक के साथ ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं। शटलर "पी. वी. सिंधु" (P. V. Sindhu) ने महिला एकल बैडमिंटन में रजत पदक जीता, ओलंपिक रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला और सबसे कम उम्र की भारतीय ओलंपिक पदक विजेता भी बनीं।
सन् 2020 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक (2021 में आयोजित) में, भारत का प्रतिनिधित्व 124 एथलीटों की एक नई रिकॉर्ड संख्या खिलाड़ियों द्वारा किया गया था। 'सैखोम मीराबाई चानू" (Saikhom Mirabai Chanu) ने उद्घाटन के दिन महिला भारोत्तोलन वर्ग में 49 किग्रा में रजत पदक हासिल किया, यह पहली बार है जब भारत ने किसी भी ओलंपिक के पहले दिन पदक जीता है।
कुछ दिनों बाद, "पी. वी. सिंधु" ने महिला एकल बैडमिंटन कांस्य पदक मैच में चीन की "हे बिंगजियाओ" को सीधे गेमों में हरा दिया, इस प्रकार वह दो व्यक्तिगत ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। "नीरज चोपड़ा" (Neeraj Chopra) ने भाला फेंक में स्वर्ण जीता, ट्रैक और फील्ड में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय और व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले भारतीय खिलाड़ी बने।
पुरुषों की फील्ड हॉकी में, भारत ने कांस्य पदक जीता। यह पदक 41 साल के अंतराल के बाद मिला, आखिरी बार मास्को में सन् 1980 में स्वर्ण पदक जीता था। कुश्ती प्रतियोगिताओं में, "रवि कुमार दहिया" (Ravi Kumar Dahiya) ने रजत पदक जीता और "बजरंग पुनिया" (Bajrang Punia) ने कांस्य पदक जीता।
ओलंपिक पदार्पण करने वाली "लवलीना बोर्गोहेन" (Lovlina Borgohain) ने महिला मुक्केबाजी में कांस्य पदक जीता। वह मुक्केबाजी में ओलंपिक पदक जीतने वाली केवल दूसरी भारतीय महिला बनीं। ओलंपिक इतिहास में भारत के लिए 7 पदकों का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
ओलंपिक में फील्ड हॉकी :
सन् 1908 के लंदन ओलंपिक में पुरुषों की प्रतियोगिता के रूप में ओलंपिक खेलों में फील्ड हॉकी की शुरुआत की गई थी। जिसमें छः टीमें थीं, चार यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन और आयरलैंड से थीं और अन्य दो फ्रांस और जर्मनी थी।
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ओलंपिक | Olympics in hindi |
अंतर्राष्ट्रीय खेल ढांचे की कमी के कारण सन् 1924 के पेरिस ओलंपिक खेलों में फील्ड हॉकी को ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों से हटा दिया गया था। अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH, फेडरेशन इंटरनेशनेल डी हॉकी) की स्थापना उस वर्ष पेरिस में हुई, जो कि फील्ड हॉकी की चूक की प्रतिक्रिया के रूप में की गई थी। पुरुषों की फील्ड हॉकी अगले ओलंपिक, मतलब सन् 1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक (Amsterdam, Netherland) खेलों में एक स्थायी विशेषता बन गई।
लंबे समय तक, भारत ने सन् 1928 से 1964 तक आठ में से सात ओलंपिक में फील्ड हॉकी के स्वर्ण पदक जीतकर ओलंपिक में अपना दबदबा बनाया। बाद में, पाकिस्तान की हॉकी टीम भी हावी रही, जिसने सन् 1956 और सन् 1984 के बीच तीन स्वर्ण और तीन रजत पदक जीते।
सन् 1980 के दशक के बाद भारत और सन् 1990 के दशक के बाद पाकिस्तान ने अपना प्रभुत्व खो दिया। भारत ने अपना आखिरी स्वर्ण पदक सन् 1980 में और पाकिस्तान ने सन् 1984 में जीता था। हालाँकि भारत ने लंबे समय के बाद सन् 2020 के ओलंपिक खेलों में फिर से कांस्य पदक जीता।
सन् 1968 से, दुनिया भर की विभिन्न टीमों ने ओलंपिक में स्वर्ण-पदक की सफलता देखी है। सन् 1968 से, दक्षिणी गोलार्ध के कई देशों ने ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अर्जेंटीना और जिम्बाब्वे सहित पुरुषों और महिलाओं की फील्ड हॉकी में विभिन्न पदक जीते हैं। उत्तरी गोलार्ध की टीमों का एक प्रमुख समूह नीदरलैंड और जर्मनी से आया है।
सन् 1980, 1996, 2008 में तीन बार रजत और सन् 1960 में एक बार कांस्य पदक जीतने के बाद, स्पेन की पुरुष हॉकी टीम ने स्वर्ण पदक जीते बिना अधिकांश ओलंपिक की प्रतियोगिताओं में भाग लिया है। ऑस्ट्रेलिया ने सन् 2004 के ओलंपिक में फील्ड हॉकी का स्वर्ण पदक जीता था। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया ने 12 ओलंपिक में बिना स्वर्ण जीते प्रतिस्पर्धा की थी।
सन् 1980 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में IOC द्वारा पहली महिला ओलंपिक फील्ड हॉकी प्रतियोगिता शुरू की गई थी। सन् 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक (Montreal, Canada) में ओलंपिक फील्ड हॉकी खेल पहली बार कृत्रिम मैदान पर खेले गए थे।
सन् 1988 के ओलंपिक तक टूर्नामेंट केवल एक आमंत्रण था लेकिन FIH ने सन् 1992 के ओलंपिक खेलों के बाद से एक योग्यता प्रणाली शुरू की। भारत 12 पदक (8 स्वर्ण, 1 रजत और 3 कांस्य) के साथ समग्र पदक तालिका में अग्रणी टीम है। गोल्ड मेडल के मामले में भी भारत सबसे आगे है।
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