खेलों के प्रकार | khelo ke prakar | types of games

(1) खेलों के प्रकार -

खेलों के प्रकार अनेक है। स्थान के आधार पर हम इन्हें दो भागों में बाँटते हैं—
(1) अन्दर घर में खेले जाने वाले खेल,  
(2) घर के बाहर मैदान में खेले जाने वाले खेल।

घर में खेले जाने वाले खेलों में शतरंज, टेबिल-टेनिस, कैरम, ताश, साँप-सीढ़ी आदि आते हैं, तौ मैदान में खेले जाने वाले खेलों में हॉकी, क्रिकेट, कबड्डी, बाली-बाल, फुटबाल, खो-खो आदि की गणना की जाती है।

कुछ खेलों में एक ही व्यक्ति द्वारा हिस्सा लिया जाता है तथा कुछ में टीम (दल) भाग लेती है। दौड़, भाला फेंक, कूद आदि ऐसे खेल हैं जिनमें एक व्यक्ति भाग लेता है जबकि क्रिकेट, कबड्डी आदि में दल की भागीदारी होती है।

खेलों के प्रकार | types of games | different types of games | types of games and sports
खेलों के प्रकार | khelo ke prakar | types of games

(2) Different types of games -

खेलों के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो शारीरिक, मानसिक या सामाजिक गतिविधियों पर आधारित हो सकते हैं। नीचे कुछ प्रमुख खेलों के प्रकार दिए गए हैं:

• शारीरिक खेल: शारीरिक खेल शारीरिक क्षमता, स्थायित्व, ऊर्जा, ताकत और सहनशीलता का विकास करते हैं। जैसे - क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, टेनिस, बैडमिंटन, एथलेटिक्स, गोल्फ, बास्केटबॉल, बॉक्सिंग, कराटे, वॉलीबॉल, कबड्डी आदि।

• मनोरंजक खेल: मनोरंजक खेलों का मुख्य उद्देश्य मनोरंजन और मनोविज्ञानिक संतुष्टि प्रदान करना होता है। जैसे - कार्ड खेल, चेस, सुडोकू, लूडो, स्क्रेबल, टेबल टेनिस, बिलियर्ड्स, शतरंज, पजल आदि।

• मानसिक खेल: मानसिक खेल में मनोशान्ति, मनोबल और ब्रेन एक्सरसाइज़ का ध्यान रखा जाता है। जैसे - पहेलियाँ, सुडोकु, मनोरंजक पहेलियाँ, क्रॉसवर्ड पहेलियाँ आदि।

• सांस्कृतिक खेल: सांस्कृतिक खेल विभिन्न संस्कृतियों और लोकसंगीत के साथ जुड़े होते हैं। जैसे - भारतीय लुडो, गरबा, भारतीय कबड्डी, कठपुतली नाटक, दंगल, मुद्गल, भारतीय मैले आदि।

• पारंपरिक खेल: पारंपरिक खेल एक समुदायिक और ऐतिहासिक महत्व रखते हैं और प्राचीन या स्थानिक परंपराओं से जुड़े होते हैं। जैसे - होकी कश्याप, तूफान टेबल, शेर-दिमाग़, बोक्स पोलो, मालखम्ब, चौगान, कुस्ती, जात्रोत्सवी खेल आदि।

• प्रकृति खेल: प्रकृति खेल में प्राकृतिक वातावरण में आयोजित किए जाने वाले खेल शामिल होते हैं। ये खेल हमें प्रकृति के संपर्क में लाने, पर्यावरण संरक्षण की जागरूकता बढ़ाने और आराम और आनंद लेने का मौका प्रदान करते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं हाइकिंग, जंगल सफारी, कैंपिंग, पर्वतारोहण, कनूपोलो, जलक्रीड़ा, घुड़सवारी, शिकार आदि।

(3) खेलों की वर्तमान स्थिति -

राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलों की स्थिति में सुधार हो रहा है। हॉकी, क्रिकेट, बाली-बाल, शतरंज आदि के आयोजन निरन्तर होते ही रहते हैं। इन आयोजनों में जनसामान्य पर्याप्त रुचि लेता है। पुराने समय की अपेक्षा आज खेल के मैदान, खेल के स्थान लगातार बढ़ रहे हैं।

खेलों के लिए छोटे-छोटे स्थानों पर स्टेडियम बनाये गये हैं। विद्यालयों में खेलों पर पर्याप्त बल दिया जाता है। सरकारें खेलों के लिए सुविधाएँ तथा साधन उपलब्ध कराती हैं। खिलाड़ियों को छात्रवृत्ति, पुरस्कार एवं नौकरी में वरीयता आदि प्रदान की जाती है।

(4) खेल में सुधार की आवश्यकता -

आज के विकास प्राप्त युग में खेलों की अभिरुचि दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। रेडियो, टेलीविजन तथा फिल्मों में भी इनका महत्त्व दर्शाया जाता है, किन्तु सभी खेल प्राय: महँगे उपकरणों वाले हैं, साधारण व्यक्ति अपने निजी व्यय से इनको प्राप्त करने में सक्षम नहीं है। अतः सरकार से इस ओर अधिक ध्यान देने की अपेक्षा है। विद्यालय, कॉलेजों के खेल-साधनों, राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए अभी पर्याप्त साधनों का अभाव है।

(5) उपसंहार -

इस प्रकार हम देखते हैं कि खेलों का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इनकी प्रतियोगिता के कारण खेलकूद मन्त्रालय का गठन किया गया है। जिले, प्रदेश और देश स्तर पर ही नहीं विश्व स्तर पर भी विभिन्न खेलों की प्रतियोगिताएँ निरन्तर आयोजित होती रहती हैं। क्रिकेट, हॉकी, टेनिस खेल तो जन-जन के मानस पर छा गए हैं।

खेल शरीर तथा मन को एक नई ताजगी से सरावोर कर देते हैं। खेल नई शक्ति तथा साहस के स्रोत हैं। ये सहयोग तथा स्पर्धा की भावना को विकसित करने वाले हैं। हार-जीत को समान धरातल पर देखने की क्षमता उत्पन्न करने वाले हैं। यथार्थ में खेल जीवन में समरसता की मंदाकिनी प्रवाहित करते हैं। इसलिए खेल जीवन की प्रगति का आधार है।




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